शनिवार, 16 जून 2012

नीम का इतिहास

नीम का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी पुरानी हमारी सभ्यता है नीम का वृक्ष भारत में कन्याकुमारी से हिमालय तक और देश में पश्चिमी भाग से लेकर सुदूर पूर्वी व उत्तर पूर्वी भाग तक सर्वत्र मिलता है भारतीय चिकित्सा के प्राचीनतम शास्त्रों चरक- संहिता और सुश्रुत में भी नीम वृक्ष के गुणों का वर्णन मिलता है नीम का वृक्ष सिरे से लेकर पैर तक यांनि जड़ , तना, पत्ती ,फल, फुल सभी अनगिनत असाध्य रोगों की अचूक दवा है नीम का अंग, प्रत्यंग कडवाहट से भरा होता है किन्तु इसमें उपलब्ध अथाह गुणों के कारण इसमें गुणों की वह मिठास है की लोग इसे प्रेम पूर्वक रोपते है जो की अन्य वृक्षों के प्रति प्रेम शायद ही किसी में हो नीम एक प्राक्रतिक कीटनाशक है जो की आधुनिक कीटनाशकों की तुलना में सर्वोच्च है पेड़ पौधों की सभी तरह की बीमारी , अनाज भंडार के समय नीम से सुरक्षा उपयोगी है इस क्षेत्र में यदि कृषकों को वैज्ञानिकों का सहयोग मिल जाए तो अकेला नीम का वृक्ष दुनिया भर के कीटनाशकों के कारखाने बंद करवा सकता है आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार नीम कफ़ ,उलटी, कृमि, सुजन नाशक, पित्त रोग, ह्रदय की दाह को शांत करने वाली है इसके साथ ही खांसी , अजीर्ण , ज्वर, प्रमेह , रक्त विकार को भी दूर करने वाली है आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रेथ भाव प्रदेश में उल्लेख्य है की चैत्र मास में नीम की कोमल पत्तियां खानी चाहिए क्योंकि चैत्र मास में ही बिमारियों की भरमार होती है नीम की कोमल और पकी हुई पत्तियों में प्रोटीन, आयरन , कैल्शियम , विटामिन ए , प्रचुर मात्र में बिद्यमान रहता है इसलिए इसकी पत्तियां बिभिन्न रोगों में लाभ पहुंचाती है जैसे :-


नीम की पत्तियों को उबालकर पीसकर उसमे गुड मिलकर लगाने से हर प्रकार की गांठ पक जाती है ।


नीम की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर पीने से खट्टी डकार आना बंद हो जाता है ।


पुराने घाव पर नीम की पुल्टिस बनाकर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है ।


जलन को दूर करने के लिए नीम के पत्तों के रस में भुनी हुई अजवाइन और हिग मिलाकर प्रयोग करने से जलन शांत हो जाती है ।


नए या पुराने बुखार में नीम की पत्तियां और वृक्ष के अन्दर की छाल का चूर्ण बनाकर ३ माशा दिन में ३ बार गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है ।


नीम के पत्तों का सरबत बनाकर पिने से पेचिस में लाभ होता है ।


शीत पित्त में नीम के पत्तों का रस आधा तोला दिन में दो बार लेने से लाभ होता है ।


यदि फोड़ा फूटकर बहता है तो उस पर नीम की पत्तियों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर लगाने से फोड़े का बहना ठीक हो जाता है ।


चेचक रोग में नीम के ५-७ लाल पत्ते सुबह शाम काली मिर्च के साथ एक माह तक प्रति दिन खाने से एक वर्ष तक चेचक होने की संभावना नहीं होती ।


कब्ज दूर करने के लिए नीम के चार सूखे फुल गर्म पानी के साथ रात में सोते समय खाना चाहिए ।


नीम का तेल फोड़े ,फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है ।


नीम का काढ़ा बनाकर तेल के साथ मिलाकर उपयोग करने से खून साफ हो जाता है ।


सुजन आने पर नीम के पत्तों को गर्म पानी में उबालकर या नीम के पेड़ की छाल से सेंकने पर लाभ होता
है ।